ये सब क्या हो गया
(टिपण्णी : यह रचना फेसबुक के ऊपर व्यक्त विचारों पर आधारित है )
पुख्ता त्यारी नहीं की -
तो किया महामारी ने
जीवन सत्यानाश।
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सम्पन्नों, सामंतों को
दी बेच जन-सम्पत्ति
औ किया महाविनाश ।
~*~
अब कहते हैं
कुछ नहीं होगा -
प्रभु-इच्छा है ऐसी।
~*~
जीवन है बस
पैसे-वालों का खेल
गरीबों की ऐसी की तैसी।
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