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Writer's pictureLalit Kishore

Needonomics is the key for self-reliance: Professor M.M. Goel

Devdhar (Yamuna Nagar), July 11- “The recession in the global economy is a reality to be accepted which require understanding and adopting needonomics”, opined Former Vice Chancellor M.M. Goel, a needonomist Professor retired from Kurukshetra University . He was delivering the keynote address of the international webinar on ‘Needonomics for Revival of Global Economy’ organized by Gurjar Kanya Gurukul Mahavidyala here today. Needonomics is the key for self-reliance: Professor M.M. Goel


Devdhar (Yamuna Nagar), July 11- “The recession in the global economy

is a reality to be accepted which require understanding and adopting needonomics”, opined Former Vice Chancellor M.M. Goel, a needonomist Professor retired from Kurukshetra University . He was delivering the keynote address of the international webinar on ‘Needonomics for Revival of Global Economy’ organized by Gurjar Kanya Gurukul Mahavidyala here today.



Determination of implementing Atamnirbhar Bharat Abhiyan calls for needonomics as the key for self-reliance, believes Professor Goel.


To say goodbye to the ‘Cobra Effect’ of international debt, we should adopt the principle of needonomics which is ethical, nonviolent and spiritual in nature and says no to greed authenticating economic thoughts of Mahatma Gandhi , is based on the logo of LIC of India ‘Yogakshemam Vahamyaham’(Your welfare is our responsibility) , explained Professor Goel.

For revival of the economy, we need street smart citizenry as consumers, producers, distributors and traders, told Professor Goel.


Global economy can be made consumer friendly by adopting NAW (Need, Affordability and Worth) approach of international marketing of the goods and services, believes Professor Goel.


Earlier Principal Dr, Mamta Sharma welcomed and introduced Professor Goel.

नीडोनॉमिक्स आत्मनिर्भरता की कुंजी है: प्रोफेसर एम.एम. गोयल

देवधर (यमुनानगर), 11 जुलाई-“ वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की वास्तविकता को स्वीकार करना होगा एवं ‘नीडोनॉमिक्स ’ (जरूरतों के अर्थशास्त्र) को समझना और अपनाना ज़रूरी होगा ।“ये शब्द पूर्व कुलपति एम.एम. गोयल, नीडोनॉमिस्ट एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने कहे ।

वे आज यहां गुर्जर कन्या गुरुकुल महाविद्यालय द्वारा आयोजित ‘ वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने हेतु नीडोनॉमिक्स ’विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का मुख्य भाषण दे रहे थे।

कृष्ण के हृदय के रूप में गीता के शिष्य प्रोफेसर गोयल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को लागू करने के संकल्प के लिए, हमें नीडोनॉमिक्स को आत्मनिर्भरता की कुंजी के रूप में स्वीकार करना


होगा ।

प्रोफेसर गोयल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय ऋण के 'कोबरा प्रभाव' को अलविदा कहने के लिए, हमें नीडोनॉमिक्स के सिद्धांत को अपनाना चाहिए जो एलआईसी के लोगो ‘योगक्षेमम वहाम्यहम ’(आपका कल्याण हमारी जिम्मेदारी है) पर आधारित है एवं महात्मा गांधी के आर्थिक विचारों को प्रमाणित करने के लिए प्रकृति में अहिंसक, नैतिक और आध्यात्मिक है।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय विपणन के एन.ए.डब्ल्यू दृष्टिकोण (आवश्यकता, सामर्थ्य एवं मूल्य ) को अपनाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को उपभोक्ता के अनुकूल बनाया जा सकता है ।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, हमें उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों के रूप में सड़क स्मार्ट नागरिकों की आवश्यकता है।

प्रोफेसर गोयल ने बताया कि हमें अर्थव्यवस्था में चुनौतियों के लिए विवेक के साथ जागरूक, सतर्क और जागृत होना है तथा बिना किसी जोखिम के उत्साहित रहना है।

इससे पहले प्रिंसिपल डॉ. ममता शर्मा ने प्रोफेसर गोयल का परिचय दिया और उनका स्वागत किया।


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