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Writer's pictureLalit Kishore

उर्ध्वोभव: अपना मनोविकास ही अपना जीवन


उर्ध्वोभव: अपना मनोविकास ही अपना जीवन


ये अपना मन -

यही तो है

जीवन की आधारशिला

जीवन संग्राम हेतू

उस पर खड़ा करो

सजग-सुदृढ़ किला

~*~

बनाओ मन को

प्रज्ञावान, प्रतिभावान, शीलवान

कला-कौशल युक्त

रखो इसे

विकारों और दम्भरुपी

रिपुओं से मुक्त

~*~*~

उर्ध्वोभव -

मन से परे जा

और बन स्तिथप्रज्ञ

कर दर्शन

असीमता, भव्यता , दिव्यता के

और बन मर्मज्ञ



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