उर्ध्वोभव: अपना मनोविकास ही अपना जीवन
ये अपना मन -
यही तो है
जीवन की आधारशिला
जीवन संग्राम हेतू
उस पर खड़ा करो
सजग-सुदृढ़ किला
~*~
बनाओ मन को
प्रज्ञावान, प्रतिभावान, शीलवान
कला-कौशल युक्त
रखो इसे
विकारों और दम्भरुपी
रिपुओं से मुक्त
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उर्ध्वोभव -
मन से परे जा
और बन स्तिथप्रज्ञ
कर दर्शन
असीमता, भव्यता , दिव्यता के
और बन मर्मज्ञ
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