कविता: मोक्षदाता ज्ञात-मुक्त जीवन
ज्ञात है सीमित
ज्ञात है विगत
ज्ञात है अनित्य
ज्ञात है असत्य
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अज्ञात है अनंत
अज्ञात है कालातीत
अज्ञात है अथाह
अज्ञात है विचारातीत
~*~
ज्ञात से निवृति -
यही है मुक्ति
अज्ञात में प्रवृति -
है मुक्ति की युक्ति
~*~
इसी क्षण त्याग दो
सीमित ज्ञान का गर्व
जीवन को बनालो
अज्ञात-मिलन का पर्व
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